रोज भगवान को याद करते हो …..
पर कभी सोचा है कि…..
किसी दिन भगवान ने याद कर लिया तो… …………………….
…………………….
……………………
….लेने के देने पड जाएगेँ ।।।।।
“काम ऐसे करो
कि लोग आपको
.
.
.
.
.
.
.
किसी दूसरे काम के लिए
बोलें ही नहीं”
आज के जमाने में सत्संग उसी संत का बढ़िया रहता है जिसके पंडाल में गर्म पोहा-जलेबी और अदरक वाली चाय मिले। वरना ज्ञान तो अब वॉट्सएप पर भी बंटता है।
जिस पुरुष ने आज के समय में बीवी, नौकरी, कारोबार और स्मार्टफोन के बीच में सामंजस्य बैठा लिया हो, वह पुरुष नहीं महापुरुष कहलाता है!
आज सबसे बड़ी कुर्बानी वह होती है, जब हम अपना फोन चार्जिंग से निकाल कर किसी और का फोन लगा दें!
“दुनिया में हर चीज मिल जाती है,…. केवल अपनी गलती नहीं मिलती”…!!
मुस्कुराते रहो तो दुनिया आपके कदमों में होगी वरना आंसुओं को तो आंखें भी जगह नहीं देतीं।।
आसमान को छूने के लिऐ रॉकेट को भी बोतल कि जरूरत पडती है।………..
तो फिर इंसान क्या चीज है।
आप कितने ही अच्छे काम कर लें, लेकिन लोग उसे ही याद करते हैं, जो उधार लेकर मरा हो।
यदि पेड़ों से wi-fi के सिगनल मिलते.. तो हम खूब पेड़ लगाते। अफसोस कि वे हमे आक्सीजन देते है…
आजकल माता-पिता को बस दो ही चिंताएं हैं। इंटरनेट पर उनका बेटा क्या डाउनलोड कर रहा है और बेटी क्या अपलोड कर रही है i
बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी यारो सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नही i
हर एक इंसान हवा में उड़ता फिरता है, फिर ना जाने जमीन पर इतनी भीड़ क्यों है
पर कभी सोचा है कि…..
किसी दिन भगवान ने याद कर लिया तो… …………………….
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….लेने के देने पड जाएगेँ ।।।।।
“काम ऐसे करो
कि लोग आपको
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किसी दूसरे काम के लिए
बोलें ही नहीं”
आज के जमाने में सत्संग उसी संत का बढ़िया रहता है जिसके पंडाल में गर्म पोहा-जलेबी और अदरक वाली चाय मिले। वरना ज्ञान तो अब वॉट्सएप पर भी बंटता है।
जिस पुरुष ने आज के समय में बीवी, नौकरी, कारोबार और स्मार्टफोन के बीच में सामंजस्य बैठा लिया हो, वह पुरुष नहीं महापुरुष कहलाता है!
आज सबसे बड़ी कुर्बानी वह होती है, जब हम अपना फोन चार्जिंग से निकाल कर किसी और का फोन लगा दें!
“दुनिया में हर चीज मिल जाती है,…. केवल अपनी गलती नहीं मिलती”…!!
मुस्कुराते रहो तो दुनिया आपके कदमों में होगी वरना आंसुओं को तो आंखें भी जगह नहीं देतीं।।
आसमान को छूने के लिऐ रॉकेट को भी बोतल कि जरूरत पडती है।………..
तो फिर इंसान क्या चीज है।
आप कितने ही अच्छे काम कर लें, लेकिन लोग उसे ही याद करते हैं, जो उधार लेकर मरा हो।
यदि पेड़ों से wi-fi के सिगनल मिलते.. तो हम खूब पेड़ लगाते। अफसोस कि वे हमे आक्सीजन देते है…
आजकल माता-पिता को बस दो ही चिंताएं हैं। इंटरनेट पर उनका बेटा क्या डाउनलोड कर रहा है और बेटी क्या अपलोड कर रही है i
बस के कंडक्टर सी हो गयी है जिंदगी यारो सफ़र भी रोज़ का है और जाना भी कही नही i
हर एक इंसान हवा में उड़ता फिरता है, फिर ना जाने जमीन पर इतनी भीड़ क्यों है